Wednesday, July 8, 2020

विदेशी हथियार-देशी प्रचार

कैसा है यह गणतंत्र दिवस का दर्शन
होता हो जिसमें सैन्यशक्ति का प्रदर्शन
विदेशी टैंक-तोपों का स्वदेशी प्रचार
खा जाता है हथियारों का विदेशी बाजार
फॉरेन रिजर्व का हमारा सारा भंडार
गाते हैं वसुधैव कुंटुंबकम् का मल्हार
करते हैं अपने ही अल्पसंख्यकों का संहार
था एक जमाने समावेशी शिक्षा का सिलसिला
ज्ञान-विज्ञान के सैलाब का था यहां जलजला
मिशाल था जिसका विश्वविद्यालय तक्षशिला
तालीम-ओ-इल्म का था एक मशहूर किला
समय के फेर में वह बन गया इतिहास
होता है कभी-न-कभी हर शिखर का ह्रास
तक्षशिला में फहर रहा था जब ज्ञान का परचम
सारनाथ से शुरू किया बुद्ध ने शिक्षा का नया उपक्रम
चल पड़ा भारत में वैज्ञानिक शिक्षा जनतांत्रिक क्रम
बौद्ध विहार बन गए सार्वभौमिक शिक्षा की पाठशाला
समता-सामूहिकता-सामुदायिकता की प्रयोगशाला
बुद्ध के अभियान से मिटने लगी जन्मजात भेदभाव की भ्रांति
थी यह इस भूखंड परअनोखी, व्यापक बौद्धिक क्रांति
सम्राट अशोक का हुआ जब रक्तपात से मोहभंग
बन गए वे बौद्ध बौद्धिक क्रांति के अभिन्न अंग
शुरू किया जब उन्होंने बौद्ध दर्शन का प्रसार
बनवाए देश-विदेश में अनेकों बौद्धविहार
फैलाने को दुनिया भर में भाईचारे के विचार
दिया दुनिया को नालंदा विश्विद्यालय का उपहार
होता है किसी समाज का सांस्कृतिक उत्थान
फैलता है वहां जब दार्शनिक ज्ञान और विज्ञान
हर क्रिया की होती है विपरीत प्रतिक्रिया
क्रांति की ही तरह प्रतिक्रांति भी है एक निरंतर प्रक्रिया
मौर्य साम्राज्य का पुष्यमित्र शुंग ने जब अंत किया
प्रतिगामी शक्तियों ने ब्राह्मणवादी प्रतिक्रांति शुरू किया
बौद्ध ज्ञान-विज्ञान की जगह पौराणिक काल का उद्घाटन किया
खत्म हुए जब सार्वभौमिक शिक्षा के विचार
हो गया ज्ञान पर मुट्ठी भर लोगों का एकाधिकार
आसान होता है आक्रांता का अतिक्रमण उस समाज में
सीमित हो शस्त्र-शास्त्र का अधिकार चंद लोगों के हाथ में
शुरू हुआ इतिहास का लंबा अंधायुग
पुराणों में जिसे कहा गया घोर कलियुग
जब समाज में ज्ञान विज्ञान का पतन होता है
वह धन-धान्य तथा ताकत में विपन्न हो जाता है
अंधायुग आता है ऐसे समाज में बार बार
होते हैं लोग जहां अंधभक्ति का शिकार
(यों ही कलम आवारगी पर उतर आया)
(ईमि:09.07.2020)

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