Tuesday, July 21, 2020

#वरवर राव

#वरवर राव
वरवर राव का कलम तोड़ने की
कई कोशिसें की जुल्मत के तख्तनशीनों ने
हर बार और ही निखरती गई उसकी आवाज
बंद करते हो उन्हें बार बार
कलम की जगह बंदूक उठाने के आरोप में
क्योंकि तुम डरते हो उनके कलम से गढ़ी कविता की धार से
क्योंकि लिखता है उनका कलम सदा ही सदाकत
होने से कमजोर दिमाग की आंखें
तुम्हें सदाकत में दिखती हैजुल्म के मातों की बगावत
कलम जब्त कर उसे बंदूक बना देते हो
सशस्त्र तख्ता पलट का मुकदा लाद देते हो
मार भी डालोगे यदि वरवर राव को
आवाम पर आजमाईअपनी बर्बरता से
कलम लिखता रहेगा सदाकत के तराने
आवाम की जंगे आजादी के गाने
हरावल दस्ता बन जाएगी कविता
निकल पड़ेगा जो ले मशालें शब्दों का
चकनाचूर कर देगा
धनपशुओं की खिदमत में
मुल्क को गुलाम बनाए रखने का तुम्हारा मंसूबा
तोड़ देगा समाज को टुकड़े-टुकड़े करने का तुम्हारा इरादा
जाति-धर्म के नाम पर
बनी रहेगी शब्दों के मशालों की निरंतरता
जुल्मतों के तुम्हारे निजाम के खात्मे तक
चप्पे चप्पे में इंकलाब के नारे गूंजने तक
इंकलाब जिंदाबाद
जिंदाबाद जिंदाबाद।
(ईमि:21.07.2020)

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