Thursday, March 31, 2016

कौन है यह बुज़ुर्ग सालों से तिहाड़ जेल में

कौन है यह बुज़ुर्ग सालों से तिहाड़ जेल में
सरकारों को खतरा है जिससे सियासती खेल में
सुनते हैं है ये आदमी बहुत अक़लमंद
जेल में भी लिखता है आज़ादी के छंद
लिख रहा है मनुष्यों के विकास पर एक ग्रंथ
विषय है जिसका विवेक तथा आज़ादी का संबंध
मांगता है जेल में किताबों की सुविधा
बढ़ती है जिससे राष्ट्र की सुरक्षा की दुविधा
थी देश में जब गोरे अंग्रेजों की सरकार
भगत सिंह को था किताबों का अधिकार
है जब मुल्क में भूरे अंग्रेजों की सरकार
जेल में किसी को किताब की क्या दरकार
मगर गज़ब का गतिमान होता है इनका दिमाग
किताबी तेल के बिना जलाते हैं दानिशी चिराग़
लिख रहा है विवेक और बराबरी के विकास का संबंध
छापता है मेनस्ट्रीम उसको करके क्रमबद्ध
बताती हैं सरकारें उसे खतरनाक माओवादी
नाम भी अजीब है उसका कोबाड गांधी
सुना है दून स्कूल का पढ़ा है
यानि किसी बड़े घर में पला बढ़ा है
मिली होगा इसको क़लेज में बुरी सोहबत
लग गयी होगी सोचने-समझने की बुरी आदत
इतने में तो फिर भी इतनी बुराई नहीं है
ज्ञान बघारने में बल्कि कुछ भलाई ही है
मगर ये लड़के गरीबी का दर्शन पढ़ने लगते हैं
और दर्शन की गरीबी का रहस्य समझने लगते हैं
भूखे-नंगों के साथ मिलने-जुलने लगते हैं
बड़े घरों के ऐसे लड़के बिगड़ने लगते हैं
शान-ओ-शौकत को समझते हैं अमीरों का चोचला
लूट-खसोट से है जिनका जमीर खोखला
हक़ीक़त जब ये समझने लगते हैं
ज़िंदगी में उस पर अमल करने लगते हैं
ज्यादा खतरनाक मानती है इसे भारत सरकार
कलम से निकलते हैं इसके खतरनाक विचार
हो-न-हो हो इसका जेयनयू से भी कोई रिश्ता
गया हो वहां ढूंढ़ने कोई देशद्रोही फरिश्ता
अधूरी..........

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