Sunday, March 6, 2016

शिक्षा और ज्ञान 67

इलाहाबाद के एक ग्रुप(बाकियों से निकाला जा चुका हूं, दक्षिणपंथी बहुत सहिष्णु होता है, तर्काभाव में विमर्श का स्कोप ही खत्म कर देता है) में मेरी एक पोस्वट पर किसी ने आजादी चाहने वालों को पाकिस्कीतान जाने की नशीहत दे दी. उस पर कमेंट

कुछ मौलिक बात बताओ, रटी बातें दुहराने से दिमाग कुंद हो जाता हैं संघियों के पास नवीनता का अभाव होता है इसलिए सालों से आजादीपसंद लोगों को पाकिस्तान जाने की सलाह देते रहते हैं जैसे उनके पिताजी ने वहां हमारे लिए क़लोनी बना रखी हो. 18 फरवरी को दिल्ली की सड़कों पर 15-20 हजार आज़ादी मांगने वालोंका जनसैलाब आ गया था. सभी विश्वविद्यालयों के छात्र आज़ादी मांग रहे हैैं, इतने लोग तो पूरे पाकिस्तान में नहीं समाएंगे. कहीं जाना है तो पूर्वाग्रहों, अंधविशवासों के चंद गुलाम चले जायें, जो भक्तिभाव की मानसिक गुलामी के चलते स्वतंत्रता का न मतलब समझते हैं न सुख.

बेटी अफवाहों पर नहीं तथ्यों पर जाओ. कितनी खबरें छप चुकी हैं कि वीडियो मनुस्मृति इरानी की सहायक ने डॉक्टर किया है. हमें बिल्कुल आजादी चाहिए, भूख से, नफरत से, झूठ से जुमलेबाजी से, सांप्रदायिकता से आजादी चाहिए. जहालत से आज़ादी चाहिए. भारत में आजादी चाहिए लेकिन भक्त दिमाग अपने भगवाम के पास गिरवी रख कर आजादी का मतलब नहीं समझता. जेयनयू में राजनीति होती है इसीलिए यूजीसी की रैंकिंग में नंबर 21 है, इसीलिए देश के हर बच्चे की खाहिश जेयनयू में पढ़ने की होती है, तमाम को एडमिसन न मिलने का आजीवन मलाल रहता है. मैं शिक्षक हूं, इसलिए वैज्ञानिक सोचपद्धति का सबसे तब तक आग्रह करता रहता हूं जब तक पूरा निराश न हो जाऊं. सब बच्चों को कहता हूं कि चिंतनशक्ति ही मनुष्य को पशुकुल से अलग करता है.

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