"जब जब ज़ालिम ज़ुल्म करेगा सत्ता के हथियारों से
चप्पा-चप्पा गूंज उठेगा इंकिलाब के नारों से"
इलाहाबाद के क्रांतिकारी युवा साथियों को लाल सलाम
यह देखो तो मोदी जेयनयू का असर
जेयनयू बन रहा है हर परिसर
इलाहाबाद की माटी भी है जेयनयू की ही तरह
शहीद हुए थे आज़ादी के लिए लाल पद्मधर
फासीवाद पर छाता है सत्ता का अहंकार
करता है वह विचारों पर आत्मघाती प्रहार
जयभीम-लाल सलाम से बौखला जाता है ब्राह्मणवाद
साथ गूंजते हैं नारे जब जयभीम-इंकिलाब ज़िंदाबाद
इस एकता से आओ शुरू करते हैं इक नया इंक़िलाब
दुश्मन है आवाम का कॉरपोरेटी सामंतवाद
अवसान के पहले आक्रामक हो गया है ब्राह्मणवाद
खुद को बताता था जो हिंदू अब बन गया है राष्ट्रवाद
फौरी जरूरत है इसलिए इक सांस्कृतिक इंकिलाब
जेयनयू बनेगा हमारा विश्वविद्यालय इलाहाबाद
करना ही होगा सामंती अवशेषों को पूरी तरह बर्बाद
आओ लिखते हैं मिल-जुल एक नया राजनैतिक समाजशास्त्र
तार्किक परिणति होगी जिसकी एक नया राजनैतिक अर्थशास्त्र
इवि के साथियों को लाल सलाम.
(इलाहाबाद विवि के छात्रों के प्रदर्शन की एक तस्वीर शेयर करने के लिए उपरोक्त नारे का कैप्शन लिखना चाहता था #Allabadi #nostalgia सठियाये आवारा का कलम भी आवारा हो गया है, खासकर जब से इस पर आर्थिक नैतिकता का दबाव नहीं रहा. माक्स ने कहा है, अर्थ ही मूल है. )
(ईमिः05.03.2016)
No comments:
Post a Comment