Wednesday, March 30, 2016

पहिए की कुर्सी वाला प्रोफेसर

पहिए की कुर्सी वाला प्रोफेसर खतरा है देश की सुरक्षा के लिए
माना नहीं उठा सकता बंदूक यह अपाहिज प्रोफेसर
पर दिमाग तो चला ही सकता है
और विचार बंदूक से ज्यादा खतरनाक होता है
सत्ता का भय होता है, विचारों का आतंक

सही है कि वह अपाहिज है और नहीं उठा सकता बंदूक
पर फिरा सकता है कम्यूटर के कीबोर्ड पर उंगलियां
और फैला सकता है खतरनाक विचार
वह भी बेहद खतरनाक
 आदिवासियों के भी मानवाधिकार के विचार

माना कि बंदूक नहीं उठा सकता
लेकिन पहिए की कुर्सी पर बैठे-बैठे पैदा कर सकता है विचार
सरकार चलाती है जब राष्ट्रवादी ग्रीनहंट अभियान
देने लगता है सेना के छोटे-मोटे अत्याचारों पर गंभीर बयान
इतना ही नहीं कश्मीरी मुसलमानों को भी इंसान मानता है
उनके  भी मानवाधिकार की बात करता है
राष्ट्र की अखंडता पर आघात करता है
माना कि भाग नहीं सकता पहिए की कुर्सी वाला प्रोफेसर
लेकिन मिलेगी नहीं जब तक जेल की प्रताड़ना
खतरनाक होती जाएगी बुद्धिजीवियों की चेतना
और देश की सुरक्षा के लिए सबसे खतरनाक है चिंतनशील इंसान
डरा सकता जिसे न कोई भूत न ही भगवान
करते रहेगे ये वैसे तो जेल में भी ग्राम्सी सी खुरापात
बर्दाश्त कर लेगा मगर राष्ट्रवाद उतनी उत्पात
(ईमिः31.03.2016)

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