Tuesday, March 22, 2016

संघी पढ़ने लिखने को पाप समझता है

संघी पढ़ने लिखने को पाप समझता है
अमरीका को अपना बाप समझता है
मारता है अख़लाकों को फैलाकर गोमांस की अफवाह
तलवे चाटकर गोभक्षी ओबामा के करता है वाह वाह
थी मुल्क में जब अंग्रेजी राज के खिलाफ लड़ाई
कर रहा था ये तब क्रांतिकारियों के मुखबिरी
था एक इनका परम पूज्य गुरू गोलवल्कर
करता था अंग्रेजों की दलाली खुलकर
कहता था यह बात बिल्कुल बेशर्मी से
मत करो जाया ऊर्जा अंग्रेजों से लड़ने में
रखो बचाकर मुसलमान-कम्युनिस्टों से लड़ने के लिए
मांगता था अंग्रेजों से माफी दामोदर विनायक सावरकर
भारत छोड़ो आंदोलन के विरुद्ध बना दल्ला कद्दावर
चल रहा था हिंद मे जब अंग्रेजों भारत छोड़ो का आंदोलन
अंग्रेजी सेना में भरती का यह चला रहा था प्रायोजन
हत्या बलात्कार का प्रायोजक नरेंद्र मोदी
कहता है ख़ुद को हिंदू राष्ट्रवादी
करता है तार तार भारत का संविधान
मानता है जिसे वेंकू भगवान का वरदान
बनते ही मुखिया रचा इसने गोधरा कांड
हिला दिया क़ोहराम से गुजराती ब्रह्मांड
लगता है दिल में होती है लोगों की अक़ल
दंगों से काटता रहा वह मतदान की फ़सल
आया जब मन में देश का मुखिया का विचार
नाकाफी लगा फिरकापरस्त नफरत का प्रचार
रचा मुज़फ्फरनगर गुजरात की तर्ज़ पर
कॉरपोरेटी मीडिया ने फैलाया विकास की लहर
बन गया जब वह मुल्क का प्रधान
तोड़ने लगा वह राष्ट्रीय संविधान
पार्टी में थे जितने भी ज़ाहिल अपराधी
बनाया उन्हीं को मंत्रिमंडल का साथी
खुल गई जब पोल विकास के ढकोसले की
चली तब चाल राष्ट्रोंमाद के चोचले की
खतरे में होता है जब भी ब्राह्मणवाद
कभी हिंदुत्व बन जाता है तो कभी राष्ट्रवाद
विश्वविद्यालयों का है कुछ ऐसा स्वभाव
पैदी नहीं होता वहां अंध भक्तिभाव
उगती है वहां तर्क ओ विवेक की फसल
तैयार होती है वहां नई इंक़िलाबी नसल
इंक़िलाब से है फासीवाद को सख़्त नफरत
शुरू किया प्रश्नवाद को डराने की फितरत
मारा कई पंसारे, कलबुर्गी डोभालकर
धीार्मिक भावनाओं का बहाना बनाकर
डरता नहीं है मगर चिंतनशील इंसान
ज़ुल्मी रचे खौफ का कैसा भी विधान
बौखलाहट में किया इसने शिक्षा पर हमला
शुरू हो गया जिससे प्रतिरोध का सिलसिला
मद्रास में छात्र पढ़ रहे थे फुले-अंबेडकर के विचार
बौखला गई देश की मनुवादी सरकार
कर नहीं सकती थी धार्मिक भावना का बहाना
राष्ट्रवाद के नाम पर दलितों पर ताना निशाना
लगाया फुले-अंबेडकर स्टडी सर्कल पर पाबंदी
छात्रों की भी शुरू हो गयी विद्रोही लामबंदी
मद्रास से शुरू हुई जब पुणे पहुंची राष्ट्रवादी कहर
दुनियां भर में उफन पड़ी प्रतिरोध की लहर
बढ़ता रहा जैसे जैसे दमन का प्रतिरोध
बढ़ता रहा वैसे वैसे फासीवाद का क्रोध
हैदराबाद में भी दलितों को बनाया निशाना
देशद्रोही कह कर ठोंक दिया उनपर जुर्माना
रोहित विमुला की सांस्थानिक हत्या कर दिया
अनजाने में मुल्क के सोते शेरों को जगा दिया
शहादत कभी बेकार नहीं जाती है
ज़ालिम के गले का फंदा बन जाती है
रोहित की शहादत को करने को सलाम
उमड़ पड़ा सड़कों पर तर्कशील आवाम
गूंज उठा गगन जयभीम-लाल सलाम के नारों से
ज़ुल्म का प्रतिरोध तर्क-विवेक के हथियारों से
उमड़ पड़ा सड़कों पर युवा उमंगों का जनसैलाब
देख युवाओं के जज़्बात हो लिए बुड्ढे भी साथ
जेयनयू बन गया इस इंकिलाब का मुख्य हरकारा
रहा है शुरू से ही जो संघियों की आंख का किरकिरा
बोला हमला जेयनयू पर कह कर देशद्रोह का अड्डा
खोद लिया कमअक्ली में खुद के लिए बहुत गहरा गड्ढा
जेयनयू संस्था नहीं जहालत से लड़ने का विचार है
मौजूदा नायक जिसका कन्हैया कुमार है
उमर ख़ालिद एक भावी इतिहासकार है
पढ़ता ही नहीं रचता भी है इतिहास जेयनयू
पढ़ने के लिए लड़ता है जेयनयू
ज़ुल्म से लड़ने के लिए पढ़ता है जेयनयू
आती है मौत गीदड़ की तो भागता है शहर की तरफ
देखना है हश्र मनुवादी फासीवाद का दौड़ा है जो जेयनयू की तरफ
(बहुत दिनों से तुकबंदी नहीं की थी, कलम लंबी आवारगी पर निकल पड़ा.)
(ईमि)22.03.2016)

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