बुलाती रहती हो हर किसी को
कभी तो मुझे भी बुलाया करो
निर्वात महज एक खयाल है
कभी ये भी बताया करो
जाम साझा किया मुहब्बत का जिनसे
गम-ए-दिल कभी उनसे भी साझा करो
यादों से भरता रहेगा निर्वात
छोटा सा ये कभी वायदा करो
जो भी रहे हैं कभी भी हमशफर
यादों से कभी उनको भी सताया करो
देखती रहती हो नए नए कायनात के सपने
मेरे सपनों में भी कभी कभी आया करो
[ईमि/28.11.2013]
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