अरविंद जी, आप अनर्थ लगा रहे हैं. वेशयावृत्ति सेक्सुअलिटी की विकृत मर्दवादी समझ से पैदा एक सामाजिक विकार है जो बाहुबल की बजाय धनबल से बलात्कार है और ठेड़खानी भी एक तरह का बलात्कार ही है. वायदा खिलाफी (Breach of Trust) की बात आप छोड़ दिये. अपनी पत्नी शब्द में मिलकियत की बू आती है और परिवार संस्था अपने आप में पितृसत्तात्मक है. राम और रावण दोनों के मिथकीय चरित्र मर्दवादी ही हैं. ऱावण अपनी बहगन के नाक-कान काटने का बदला लेने के लिए राम की पत्नी का अपहरण करता है लेकिन सम्मान से रखता हैतथा बल-प्रयोग नहीं करता. राम कपट से बालि की हत्या करने के बाद गद्दार विभीषण को तोड़कर रावण का मार कर सीता को कहता है कि उसने फस जैसी औरत के लिए नहीं बल्कि खानदान की इज़्जत के लिए रावण को मारा. अग्नि परीक्षा के बाद भी, गर्भवती करके किसी बहाने घर से निकाल दिया. जरूरत मर्दवाद को खत्म करके समानता के मूल्य स्थापित करने की है जिसमें स्त्री-पुरुष को एक समान अधिकार प्राप्त हों.
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