एक गज़लगो ने की शिकायत आवाम से
ग़ज़लों को उनकी निमोनिया हो गया
मैंने बता दिया नुस्खा-ए-इलाज
बिन मांगी राय की तर्ज पर
गज़ल का निमोनिया तो महज़ लक्षण है
रोग की जड़ तक जाइए
सीने पर जन सरोकारों का
गर्म घी लगाइए
दीजिए जोर दिमाग पर
विचारों को मज़लूम के हक़ से जोड़िए
फिर शब्दों के कोलाहल से
क़ोहराम मचाइए
ईमि/23.11.2013]
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