मुजरिमों क लिए पहले डूब मरने की कहावत थी
कहते हैं आमजन की उनसे अदावत थी
डूबते-मरते नहीं मुजरिम आजकल
काट लेते हैं निराई के बहाने फसल
कहते हैं होती है क्यों इससे हैरान अकल
वे तो कर रहे हैं महज हुक्मरानों की नक़ल
[ईमि/०५.०७.२०१३]
कहते हैं आमजन की उनसे अदावत थी
डूबते-मरते नहीं मुजरिम आजकल
काट लेते हैं निराई के बहाने फसल
कहते हैं होती है क्यों इससे हैरान अकल
वे तो कर रहे हैं महज हुक्मरानों की नक़ल
[ईमि/०५.०७.२०१३]
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