जी हाँ, मुझे भ्रष्टाचार और निकम्मेमन से स्खलित इस देश की असंवैधानिक बन चुकी संवैधानिक व्यस्थाओं में यकीन नहीं है. जितने मशहूर मुठभेड़ विशेश्ग्य हुए हैं ज्यादार या तो जेलों में हैं या आपसी रंजिश में मारे गए जैसे राजबीरआदि . हमने अपनी रेपर्ट आपके विचारार्थ पेश की है स्वीकृति की अपेक्षा नहीं.
श्रीनिवास जी हम लोग अपनी सीमित क्षमता में मानवाधिकार के उल्लंघन के यथा संभव मुद्दों पर स्टैंड लेते रहते हैं और आवाज उठते रहते हैं, काश आप जैसे प्रज्ञावान और निष्ठावान लोग जुड़ते तो इसका प्रभाव क्षेत्र व्यापक हो जाता. जनहस्तक्षेप कम्युनिस्ट संगठन नहीं है इसके ज्यादातर सदस्य (मुझे मिलाकर)गैर कम्युनिस्ट जनतांत्रिक नागरिक हैं. .
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