किसने कहा मार्क्सवाद सिमटता गया, मार्क्सवाद का भूत लोगों के सर पर ऐसा सवार है कि कोइ भी तर्कसंगत बात करो तो लोगों के सर पर मार्क्सवाद और माओवाद का भूत सवार हो जाता है. किसने कहा काल्पनिक नायक ईश्वरत्व की और बढ़ता गया? वाल्मीकि ने तो ऐसा नहीं कहा. दर-असल हमारी धर्मान्धता और धार्मिक श्रद्धा ऐसी है की कोइ भी भगवान/भगवती बन सकता है. १९८० के आस-पास एक फिल्म आयी सन्तोशी माता, खूब चली और संतोषी माता नाम की एक नई लोकप्रिय देवी अवतरित हो गयी. फिल-निर्माता चालू था , बाकी दिन तो कई देवताओं में बंट चुके है तो इस नई देवी के लिए शुक्रवार निश्चित किया. हमारी एक सहकर्मी हाँ संतोषी माता का बरत रखती हैं और नारीवाद पढ़ाती हैं. मैंने कहाँ कहा बौद्ध साहित्य पाली में संस्कृत के विरोध में लिखा गया? बिलकुल सही कह रहे हैं प्रचार की व्यापकता के लिए पाली में लिखा गया और कई लेखकों को संस्कृत आती भी नहीं थी.
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