इज्रायली नस्लवादी हैवानियत के शिकार हजारों फिलिस्तीनी बच्चों की श्रद्धांजलि की एक पोस्ट पर एक अंधभक्त को इज्रायल द्वारा फिलिस्तीनी नरसंहार के समर्थन में वामपंथ का दौरा पड़ गया। उस पर--
बेघर कर दिए गए, Zionist नस्लवाद के शिकार फिलिस्तीनी देश के अपने अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं। हमास, पीएलओ के जनतांत्रिक संगठन फतह के विरुद्ध अमेरिकी सीआईए और और इज्रायली मोसाद द्वारा खड़ा किया गया, उनकी भावनाओं का शोषण करने वाला एक आतंकी संगठन है जिसने अकस्मात हमले में कुछ सौ इज्रायली सुरक्षाकर्मियों की हत्या कर दी, जो निंदनीय है। लेकिन इज्रायल तो अमेरिका और उसके साम्राज्यवादी कारिंदों द्वारा समर्थित एक आतंकवादी राज्य है, जिसने गाज़ा के स्कूल-अस्पताल समेत रिहायशी इलाकों में हमलाकर हजारों बच्चों समेत तमाम नागिरिकों की हत्या कर दी। उनकेदेश पर कब्जा कर पहले ही उन्हें दो छोटे-छोटे दड़बों में बंद कर दिया है अब उन दड़बों की घेराबंदी करके उनका खाना-पानी बंद कर दिया है। हजारों लाशें घरों के मलवे में दबी पड़ी हैं। मीडिया तो इज्रायली हमले ही दिखा रहा है। अपने बच्चों की लाोसं पर विलाप करते मां-बाप के दृश्य की कल्पना कीजिए। कल्पना कीजिए इज्रायली सेना के आतंकी बमबारी के शिकार बच्चों में आपका भी बच्चा है। बाकी धनपशुओं के अंधभक्तों को वामपंथ के दौरे की बीमारी पुरानी है। जाहिल अंधभक्तों को वामपंथ की स्पेलिंग भी नहीं मालुम होती लेकिन बात-बेबात वामपंथ-वामपंथ अभुआने लगते हैं। वैसे तो रटा भजन गाते गाते दिमाग कुंद ओऔर दिल असंवेदनशील हो जाता है लेकिन कभी मानवीय संवेदना से दिमागलगाइए और छोटे आतंकी से गुस्साकर भीमकाय आतंकी का समर्थन करने के अपने विचारों पर विचार की कोशिश करिए।
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