Tuesday, October 3, 2023

शिक्षा और ज्ञान 325 (स्त्री रिक्शाचलक)

  ऐसी दबंगई को सलाम। ऐसी ही एक स्त्री रिक्शाचलक दिल्ली यूनिवर्सिटी मेंं थी। लेकि वे पैसे सब (पुरुषों) जितना ही लेती थी। 40-45 साल के आस-पास की पढ़ी-लिखी दिखने वाली स्त्री। दिल्ली विवि होते हुए कमला नगर से विश्वविद्यालय मेट्रो स्टेसन। रिटायर होने के बाद जब कभी गया, दिखीं नहीं।


मुझे लगता था कि दिल्ली में रिक्शा किराया वाजिब नहीं है, अगर समग्रता में नहीं तो, अपेक्षाकृत वाजिब किराया दूं। डी'स्कूल से मेट्रो का किराया 20 रु. था मुझे लगता था कि कम-से-कम 30 होना चाहिए, तो मैं 30/ दे देता था। ई रिक्शा में 10/ सवारी का रेट था। कमललानगर से मेट्रो तक 20/

एक दिन मैं किसी काम सेकमला नगर गया था। और फोन आया, कोई पुराना दूर से मिलने आया था, डी'स्कूल में इंतजार कर रहा था। वह सवारी के इंतजार मे थीं, मैने कहा अकेले ले चलिए, पूरा किराया ले लीजिए। वे 4 ही सवारी बैठाती थीं। बोली 80/ लगेंगे। मैं डी'स्कूल उतरा तेमेट्रो की सवारी खड़ी थी, उन्होंने उन्हें बैठने को कहा और 100/ में से 60 / लौटाने लगीं, मेरे मना करने पर कहने लगीं मैं गैर वाजिब किराया नहीं लेती, यब कहते हुए कि खाली जातीं तब 80/ लेती। रिक्शा स्टार्ट कर चल दीं।

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