नहीं है जिंदगी का कोई जीवनेतर उद्देश्य
मुकम्मल मकसद है एक अच्छी जिंदगी जीना
मगर सवाल है कि क्या है अच्छी जिंदगी?
अच्छा तो अपने आप में कुछ होता नहीं
वह तो है महज एक विधेय यानि कि विशेषण
जैसे अच्छा शिक्षक होना अच्छा छात्र होना
कहने का मतलब अच्छा इंसान होना
नहीं है अच्छाई कोई मात्रात्मक इकाई
अच्छाई एक अनवरत गुणात्मक प्रक्रिया है
होती है निर्धारित अच्छाई
खास हालात में विवेक के इस्तेमाल से
करने से हर बात और हर विचार पर सवाल
नहीं मिलता जबतक जवाब मानवता के पक्ष में
स्व के स्वार्थबोध पर स्व के परमार्थबोध की तरजीह से
मुहावरे की भाषा में बाभन से इंसान बनने से।
(ईमि: 30.09.2013)
No comments:
Post a Comment