5 साल पहले एक पोस्ट शेयर किया था कि मुद्रा के लिए रुपया शब्द का प्रचलन शेरशाह सूरी के शासनकाल में शुरू हुआ। एक सज्जन ने नाराजगी में तंज किया कि सल्तनत काल के पहले भारत का अस्तित्व ही नहीं था! उस पर --
भजन गाने की जरूरत नहीं है, सल्तनतकाल के पहले भारत का भी अस्तित्व था और बाजार-विनमय तथा मुद्रा का भी चलन था, लेकिन मुद्रा को रुपया नहीं कहा जाता था। मौर्यकाल में मुद्रा पण नाम से जानी जाती थी। कौटिल्य के अर्थशास्त्र में राज्य के उच्चतम अधिकारियों (महामात्य; प्रधान सेनापति; पुरोहित और युवराज) का निर्धारित वेतन 48000 पण बताया गया है तथा निम्नतम कर्मचारियों का 8 पण। सल्तनतकाल मुगलकाल के पहले का है जिसकी मुद्रा जीतल थी। शेरशाह का समय हुमायूं और अकबर के बीच का है। रुपया रुप्य धातु की व्युत्पत्ति लगता है। चांदी को संस्कृत में रुप्य कहा जाता है और फारसी में को रुपा। संस्कृत और फारसी में कई और भाषाई समानताएं पाई जाती हैं।
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