Monday, October 9, 2023

शिक्षाऔर ज्ञान 328 ( चारण)

 इतिहास और मिथक पर चर्चा में एक सज्जन ने कहा कि इतिहास भी तो लिखा ही जाता है और लेखक शासक की जी हुजूरी करते हैं, उस पर:


सही कह रहे हैं, शासक की जीहुजूरी में शासक के भक्त और चाटुकार शासक के भजन गाते हैं जिसका जवलंत उदाहरण आज का समय है, और यह पोस्ट भी जाने-अनजाने भजन ही है। इतिहास अतीत की याद होती है, आज का दिन जब अतीत हो जाएगा तो शासक की जीहुजूरी में भजन गाने वाली भक्तमंडली का भी इतिहास लिखा जाएगा। इतिहास तथ्यपरक होता है, मिथक, महाकाव्य, उपन्यास कल्पनापरक होते हैं। पुराण इतिहास का मिथकीकरण है और पुराण से इतिहास समझने के लिए उसका अमिथकीकरण करना होता है।

आपातकाल अधिनायकवाद था, आज का अघोषित आपातकाल फाीवाद है, जिसमें सम्राट की आलोचना करना अपराध है। आपातकाल में इंदिरा गांधी के पास दमन का सरकारी तंत्र ही था, फासीवाद का सामाजिक आधार होता है, जिस भूमिका में बजरंग दल और विहिप जैसे संघ के लंपट गिरोह और बंददिमाग अंधभक्तों का व्यापक समूह हैं। हालात के वस्तुनिष्ठ विश्लेषण के लिए, स्व के स्वार्थबोध से ऊपर उठकर स्व के परमार्थबोध के तहत बाभन से इंसान बनना पड़ता है। बाभन से इंसान बनने में असमर्थ जमात में पढ़े-लिखों का अनुपात अधिक है। आज तो पूरी भाजपा और भक्तगण चारणगान में India is Indira कहने वाले देवकांत बरुआ को बहुत पीछे छोड़ दिए हैं।

No comments:

Post a Comment