चिंतनशील जीव होने के नाते सिद्धांततः हर व्यक्ति बुद्धिजीवी होता है, लेकिन व्यवहार में वही बुद्धिजीवी होता है जो खास सरोकारों को विचारों में समेकित कर अभिव्यक्ति देता है। बुद्धिजीवी दो तरह के होते हैं -- पारंपरिक और जैविक। पुजारी, धर्मशास्त्री, शिक्षक, प्रशासनिक अधिकारी, पत्रकार जैसे बौद्धिक दायित्व निभाने वाले या धर्म-संस्कृति की तिजारत करने वाले लोग पारंपरिक बुद्पाधिजीवी की कोटि में आते हैं और स्वायत्त स्वतंत्र होने का दावा करते हैं किंतु वस्तुतः वे वर्चस्वशाली समूहों के सांस्कृतिक वर्चस्व स्थापित करने का काम करते हैं। वर्ग विशेष के जैविक बुद्धिजीवी उस वर्ग के हितों को समेकित कर उन्हें अभिव्यक्ति देते हैं। एडम स्मिथ और थॉमस हॉब्स पूंजीवाद के जैविक बुद्धिजीवी थे और और कार्ल मार्क्स सर्वहारा के।
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आप जैविक बुद्धिजीवी है। आपकी लेखनी से यह पता चलता है आप श्रम की गरिमा को प्राथमिकता देते हैं।
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