सार्वजनिक स्थानों पर स्त्रियों की बेखौफ आवाजाही से मर्दवाद को कल्चरल शॉक मिलता है। मर्दों की यौन कुंठा और यौन-अपराधी प्रवृत्ति के चलते होने वाले यौन अपराधों के बहाने वे स्त्रियों की घूमने-फिरने तथा कहीं भी आने-जाने की आजादी को रोकना चाहते हैं जब कि रोकना अपराधी मर्दों को चाहिए। 2012 में दिल्ली के चर्चित बलात्कार के बाद मप्र के एक मंत्री ने बयान दिया था कि लड़की लक्ष्मण रेखा लांघेगी तो रावण उठाएगा ही। मैंने एक कविता में जवाब दिया था - उठो सीता शस्त्र उठाओ। सड़कों और रातों पर लड़कियों का भी समान अधिकार है, अपराधियों को रोकना सरकार की ड्यूटी। लेकिन सरकार लड़कियों को ही रोकना चाहती है। रातों और सड़कों पर अपने अधिकार के लिए दिल्ली विवि की लड़कियों ने 'पिंजड़ा तोड़' आंदोलन शुरू किया है। मैसूर की लड़कियों को चाहिए कि इस प्रतिबंध की धज्जियां उड़ाते हुए इन जगहों की रातों पर कब्जा करें।
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