ईश्वर नहीं है तो हम कहां से आए? किस्म के सवाल अनादि काल से लोग पूछते आए हैं, सिलसिला आज भी जारी है।
मित्र, हम अपने मां-बाप के अंतरंग जीववैज्ञानिक संबंधों से उत्पन्न प्राणी हैं जिनके आदिम पूर्वजों ने प्रजाति विशिष्ट प्रवृत्ति विवेक से खुद को पशुकुल से अलग किया था। ईश्वर संबंधी ये मुद्दे सैकड़ों साल पहले तय हो चुके। वैसे उपरोक्त कमेंट में तो मैंने ईश्वर के कल्पना होने की बात नहीं की है, खीर खाने से राजा दशरथ की रानियों के बच्चे पैदा होने के संदर्भ में यही कहा है कि खीर खाने से बच्चा पैदा होने की बात कल्पना है। ईश्वर भय तथा अज्ञान की उत्पत्ति है जिसकी हिफाजत के लिए मनुष्य ने अपनी ऐतिहासिक जरूरत के लिए धर्म का आवरण निर्मित किया। इसी लिए ईश्वर तथा धर्म के स्वरूप और चरित्र देश-काल के हिसाब से बदलते रहे हैं। सत्य वही है जिसका प्रमाण हो, ईश्वर का प्रमाण मिलते ही उसे भी सत्य मान लूंगा। कर्मकांडी ब्राह्मण बालक से प्रामाणिक नास्तिकता तक की यात्रा बहुत दुरूह आत्मसंघर्षों की यात्रा होती है इसके लिए अजेय विवेक एवं अदम्य साहस की आवश्यकता होती है।
4.08.2020
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