‘The Second Sex' की लेखक स्त्रीवादी दार्शनिक सिमों द बुआ (Simone de Beauvoir) से एक पत्रकार ने पूछा कि जब स्त्रियां पारंपरिक जीवन में खुश हैं तो वे उनपर अपने विचार क्यों थोपना चाहती हैं? उन्होंने कहा कि वे किसी पर कुछ नहीं थोपना चाहतीं। स्त्रियां पारंपरिक जीवन में इस लिए खुश हैं कि वे जीवन के और तरीके नहीं जानती वे उनका जीवन के और तरीकों से परिचय कराना चाहती हैं। मर्दवाद कोई जीववैज्ञानिक प्रवृत्ति नहीं है बल्कि एक विचारधारा है जिसे हम नित्य-प्रति की जीवनचर्या, रीति-रिवाजों, कर्मकांडों और अनुष्ठानों से निर्मित और पुनर्निर्मित करते हैं। विचारधारा शोषित और शोषक दोनों को प्रभावित करती है।
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