Wednesday, July 3, 2019

फुटनोट 222 (सभ्यता)

सभ्यता की समीक्षा में रूसो कहते हैं कि सभ्यता मनुष्य में दोगलेपन का संचार करती है, व्यक्ति होने से अलग दिखने की कोशिस करता है। यह दोगलापन आज के राजनीतिज्ञों में स्पष्ट दिखता है। प्रधानमंत्री गोरक्षा के नाम पर हत्या के विरुद्ध बयान देते हैं और और कुछ हिंदुत्व आतंकवादी ट्रेन में एक 16-17 साल के मासूम लड़के को सरे आम चाकुओं से गोद डालते हैं क्योंकि उसका नाम जुनैद है। सारे सहयात्री तमाशबीन थे गवाह एक भी नहीं। स्टेसन पर उसे पटरियों पर फेंक दिया स्टेसन कर्मियों, आस-पास के दुकानदारों समेत कहते हैं करीब 200 लोग धीरे-धीरे मरते उस लड़के को तमाशबीन की तरह देखते हैं, गवाह एक भी नहीं। क्या मनुष्य की संवेदनशीलता सदा इतनी क्रूर रही है या खास देश-काल की प्रवृत्ति है? पाकिस्तान की एक यूनिवर्सिटी में एक छात्र को इसलिए भीड़ ने मार डाला कि उस पर नास्तिक होने का शक था। मशाल खान की शहादत ने पाकिस्तानी समाज के जमीर को झकझोर दिया। अखलाक की ही हत्या की करह सरकारी चंपू जुनैद की हत्या को भी हादसा बताकर सांप्रदायिक मुद्दा न बनाने की हिदायत दे रहे हैं। संवेदना की ऐसी क्रूर ,वर्बरता शायद ही किसी अन्य प्रजाति में हो। हत्या का उत्सव कैसी मानवता है, सरहद के दोंनो पार?
04.07.2017

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