हम ईश्वर की धारणा को मनुष्य निर्मित मिथ्या धारणा मानते हैं, ईश्वर-फीश्वर कुछ होता ही नहीं मनुष्य के दिमाग की मिथ्या अवधारणा के सिवा। परिभाषा तो उसे मानने वाले स्थिर करें और प्रमाण दें। जिस किसी का प्रमाण नहीं वह गल्प है।@Aditya Anand
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