मैंने कहां कहा कि नास्तिकता समाजवादी होने का पैमाना है? जिन्ना और सावरकर जैसे फिरकापरस्त भी नास्तिक थे। भगत सिंह की समाजवादी निष्ठा उनके अन्य लेखों से पता चलती है। तर्क-तथ्यों से प्रमाणित सत्य की खोज करने वाला एक मार्क्सवादी नास्तिक भी होता है। हर नास्तिक मार्क्सवादी नहीं होता न हर क्रांतिकारी नास्तिक। कई अन्य पुराने क्रांतिकारियों की तरह शचींद्र सान्याल नास्तिक नहीं थे। 'भगत सिंह और साथियों के दस्तावेज' (चमनलाल और जगमोहन सिंह द्वारा संपादित) पुस्तक में क्रांतिकारियों पर भगत सिंह का लेख संग्रहित है, जिसमें उन्होंने पुराने क्रांतिकारियों की धार्मिकता का उल्लेख किया है। शचींद्र सान्याल धार्मिक थे, मनुवादी नहीं। उसी लेख में उन्होंने लिखा है कि उनकी विचारधारा इतनी मजबूत है कि उन्हें धर्म की बैशाखी की जरूरत नहीं है। यह पुस्तक इलाहाबाद में शबद पर उपलब्ध है। वैसे भगत सिंह के ज्यादातर लेख ऑनलाइन उपलब्ध हैं।
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