उन्नाव की एक नाबालिक राजपूत लड़की अपने परिवार के हितैषी, सजातीय, बाहुबली, भाजपा विधायक के घर आती-जाती थी। विधायक ने उसके साथ अपनी एक अन्य हितैषी सजातीय महिला शशि सिंह की सहायता से बलात्कार करना शुरू किया। शिकायत करने पर पुलिस की सहायता से विधायक ने गुर्गों के साथ उलका सामूहिक बलात्कार किया। पुलिस केस दर्ज करने की बजाय लड़की के परिवार को धमकाना-डराना शुरू किया। लड़की ने परिवार के साथ लखनऊ जाकर मुख्यमंत्री के घर के सामने आत्मदाह की कोशिस की। मामला मीडिया और सोसल मीडिया में प्रचारित होने के बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर विधायक को गिरफ्तार किया। विधायक के गुर्गे परिवार पर मामला वापस लेने का दबाव डालते रहे। लड़की का भयभीत पिता उसे लेकर दिल्ली में छुप कर रहने लगा। वह एक दिन चुपके से अपने घर वालों से मिलने आया, विधायक के भाई को खबर लग गयी तो वह आकर पुलिस के सामने उसेमार मार कर अधमरा कर दिया तथा पुलिस ने उसे पकड़कर हिरासत मे मार डाला और चश्मदीद गवाह लड़की के चाचा को फर्जी मुकदमों में जेल में डाल दिया। कोर्टके आदेश से लड़की को सुरक्षा गार्ड मिलते हैं जो उसके आवागमन की जानकारी विधायक को देते रहते हैं। लड़की अपने वकील, चाची, मौसी के साथ रायबरेली जेल में बंद अपने चाचा से मिलने जाती है, सुरक्षा गार्ड साथ नहीं जाते। अच्छी खासी चौड़ी सड़क पर जिस पर 4 वाहन एकससाथ गुजर सकते हैं, उल्टी दिशा से नंबर प्लेट पर कालिख पोते, एक ट्रक बलात्कार पीड़िता की गाड़ी में टक्कर मारता है और ड्राइवर भाग जाता है। मामले की चश्मदीद उसकी चाची और मौसी की मौके पर मौत हो जाती है, लड़की और उसके वकील गंभीर हालत में लखनऊ अस्पताल में भरती है। दिल्ली में प्रदर्शन होता है, दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष लड़की को एयर अंबुलेंस से दिल्ली भेजने का उप्र के मुख्यमंत्री से आग्रह करती हैं, जिसे दरकिनार कर मामले में लीपापोती के लिए वे मामला सीबीआई को सौंप देते हैं, लोगों को शंका है कि लड़की को मार कर मामला रफा-दफा करने की साजिश चल रही है। यह है योगी के रामराज की एक झलक।
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