फैला रहे हैं भक्तगण नफरत का ऐसा जहर
याद आता है नाज़ी तूफानी दस्तों का कहर
क्या कहें इस जनता का है जो धर्म के नशे में चूर
रख विवेक ताक पर करती इंसानियत चकनाचूर
सुनते ही मंदिर के पुजारी का यह जीवविज्ञान
इंसान से अधिक मूल्यवान है गाय की जान
किया उसने से हिंदुत्व पर खतरे का ऐलान
गोमांस खाता है इस गांव का एक मुसलमान
किया उसने भकतों का मंदिर में आह्वान
पलक झपकते ही जुट गये सैकड़ों नवजवान
बहुतों को पहले से मालुम थी यह बात
सोये नहीं वे बीत जाने पर काफी रात
दिखाया एक भक्त एक टांग सी तस्वीर
अखलाक़ के घर तक जाती खून की लकीर
किया एक भक्त ने आध्यात्मिक तकरीर
गोभक्षक रहा जीवित तो कि्स काम का शरीर
सुनते ही खौलने लगा भकतों का खून
सवार हुा उन पर गोभक्ति का जुनून
ब्राह्मणों के बीच रहता था यह अख़लाक
भक्तों की भीड़ ने कर दिया उसे हलाक
(ईमिः08.10.2015)
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