जी हां तटस्थ हूं मैं
नहीं शामिल था अखलाक़ की हत्या में
लेकिन जो होता है भले के लिए होता है
ईश्वर ने सजा दी गोमांस भक्षण को
माना कि नहीं मारा अख़लाक़ ने गाय
लेकिन सोचें जरा तटस्थ होकर
भविष्य की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता
मुझसे मत पूछो कि मोदी जी क्यों बार बार अमरीका जाते हैं
और दुम हिलाते हैं उनके सामने
जो नियमित गोमांस खाते हैं
मैं तटस्थ हूं
यह मामला है भूमंडलीय पूंजी की निष्ठा का
हिंदु राष्ट्र की सुरक्षा का
दुनिया में राष्ट्र की प्रतिष्ठा का
पहले ही लिख चुके हैं संत तुलसीदास
गलत नहीं हो सकता कभी शक्तिशाली सम्राट
वैसे भी दस दिन बाद सही
बिहार की चुनावी सभा की जुमलेबाजी में ही सही
किया मोदी जी ने अख़लाक़ की मौत में अपना हाथ होने से इंकार
सोम-साक्षी-शर्मा को लगाई शाहजी ने फटकार
नहीं थी इस देशभक्ति के जश्न की दरकार
मैं तटस्थ हूं
आज़दी का मतलब है अपने काम से काम रखना
जुबान पर अपनी लगाम रखना
दुष्यंत की सलाह पर शरीफ लोगों में मिल जाना
जहां भी चले लहू-लुहान नज़ारों की बात
उठकर वहां से दूर बैठ जाना
आज़ादी से निजाम की वफादारी करना
खुद्दारी के नाम पर कुछ लोग अपनाते हैं विद्रोही तेवर
गलतफहमी में हुई हत्या को बताते सोचा समझा कहर
मैं वाकई तटस्थ हूं न्याय-अन्याय से परे
(अरुण माहेश्वरी के माध्यम से सरला जी की कविता से प्रेरित, कमेंट)
(ईमि-20,10.2015)
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