Tuesday, October 20, 2015

जी हां तटस्थ हूं मैं

जी हां तटस्थ हूं मैं
नहीं शामिल था अखलाक़ की हत्या में 
लेकिन जो होता है भले के लिए होता है
ईश्वर ने सजा दी गोमांस भक्षण को 
माना कि नहीं मारा अख़लाक़ ने गाय
लेकिन सोचें जरा तटस्थ होकर
भविष्य की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता 
मुझसे मत पूछो कि मोदी जी क्यों बार बार अमरीका जाते हैं 
और दुम हिलाते हैं उनके सामने
जो नियमित गोमांस खाते हैं
मैं तटस्थ हूं
यह मामला है भूमंडलीय पूंजी की निष्ठा का
हिंदु राष्ट्र की सुरक्षा का
दुनिया में राष्ट्र की प्रतिष्ठा का 
पहले ही लिख चुके हैं संत तुलसीदास 
गलत नहीं हो सकता कभी शक्तिशाली सम्राट
वैसे भी दस दिन बाद सही
बिहार की चुनावी सभा की जुमलेबाजी में ही सही
किया मोदी जी ने अख़लाक़ की मौत में अपना हाथ होने से इंकार
 सोम-साक्षी-शर्मा को लगाई शाहजी ने फटकार
नहीं थी इस देशभक्ति के जश्न की दरकार
मैं तटस्थ हूं
आज़दी का मतलब है अपने काम से काम रखना
जुबान पर अपनी लगाम रखना
दुष्यंत की सलाह पर  शरीफ लोगों में मिल जाना
जहां भी चले लहू-लुहान नज़ारों की बात
उठकर वहां से दूर बैठ जाना
आज़ादी से निजाम की वफादारी करना
खुद्दारी के नाम पर कुछ लोग अपनाते हैं विद्रोही तेवर
गलतफहमी में हुई हत्या को बताते सोचा समझा कहर
मैं वाकई तटस्थ हूं न्याय-अन्याय से परे
(अरुण माहेश्वरी के माध्यम से सरला जी की कविता से प्रेरित, कमेंट)
(ईमि-20,10.2015)

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