Thursday, May 24, 2012
मोंटेक
हिन्दू में साईंनाथ का लेख है जिसमें शहर में ६६ रूपया(संशोधित) की कमाई वाले को गरीबी रेखा से ऊपर बताने वाले मोंटेक की विदेश(प्रायः अमेरिका जहां उनके आका रहते हैं) यात्राओं पर दूतावास योजना आयोग पर जो भी खर्च करता है उसके अलावा भारत सरकार २.०२ लाख रूपये प्रति-दिन खर्च करती है और २००८-१० के बीच वे २७४ दिन यानि हर नवें दिन वे विदेश यात्रा पर थे. भारत का योजना आयोग अमेरिका में इतने पैसे खर्च करके क्या योजनाएं बनाता है कि रूपये की कीमत भारत के विश्व शक्ति बनने के साथ-साथ घटता जाता है. मोंटेक आहलूवालिया जब भूमंडीकरण के साथ साथ वित्त-व्यवस्था के शीर्ष पर पहुंचे तो डालर की कीमत बढ़ कर २० रूपये थी और देश की तरक्की के साथ उसकी रुपये में कीमत बढ़ती रही और अब ५५-५६ रूपये है. १९८४-८५ में डालर की कीमत १० रूपये से कम थी. भूमंडलीकरण के साथ जब से अमेरिकी वर्चस्व की दलाली शुरू हुई तब से केन्द्र की विभिन्न सरकारों में वही फर्क रहा है जो मोंटेक सिंह आलूवालिया, मोंटेक सिंह आलूवालिया और मोंटेक सिंह आहलूवालिया में है. पेट्रोल की कीमतें आर्थिक वाध्यताओं के चलते नहीं बल्कि हिन्दुस्तानी शासकों की साम्राज्यवादी दलाली की प्रतिबद्धताओं के चलते बढ़ रहा है.
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आप बहुत सही कह रहे हैं सर! हम आपसे सहमत हैं
ReplyDeleteइसे तोडना है और हम लोगों को अपनी भूमिकाएं चिन्हित करनी होंगी
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