Thursday, May 3, 2012
साथी धीरेन्द्र को श्रद्धांजलि.
साथी धीरेन्द्र को श्रद्धांजलि.
धीरेन्द्र को जानने का मौक़ा तो तभी हुआ था जब वे छात्रसंघ के उपाध्यक्ष बने थे. इस सदी के शुरुआती किसी साल में पंचायतीराज पर एक कार्यशाला के सिलसिले में, हमलोग --वीरेंद्र सिंह, धीरेन्द्र मौ मैं -- ३-४ दिन की बनारस, राबर्ट्सगंज,दुद्धी की यात्रा पर साथ थे तब धीरेन्द्र को बेहतर जानने का मौक़ा मिला. धीरेन्द्र के एक अच्छे वक्ता थे जिनमें तार्किक बहस, संगठन और लामबंदी की क्षमता थी. हाल के दिनों में तो पीस के दफ्तर में कभी-कभार मुलाक़ात होती रहती थी. धीरेन्द्र के साथ परिस्थितियों और पार्टियों ने काफी नाइंसाफी किया. धीरेन्द्र उम्र में मुझसे छोटे थे और अपने से छोटे किसी आत्मीय का इस तरह अचानक न रहना कितना दुखदायी है हम सब जानते हैं. साथी धीरेन्द्र को लाल सलाम.
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