Saturday, January 20, 2024

वैसे तो जंगलों का भी अपना दस्तूर होता है

 वैसे तो जंगलों का भी अपना दस्तूर होता है

 वैसे तो जंगलों का भी अपना दस्तूर होता है
घोसले से किसी बच्चे के गिरने की खबर से

पूरा जंगल जग जाता है
और बच्चे की सलामती का इंतजाम करता है
लेकिन यह जंगल अलहदा है
आपसी सहयोग के कानून को दरकिनार कर
यहां के जानवर और परिंदे
इंसानों की तरह
एक दूसरे पर बेबात हमले करते हैं
इंसानी गुंडों की तरह झुंड में शेर बनने वाले जानवर
संख्यातंत्र का निर्माण करते हैं
झुंड की कायराना ताकत की बदौलत
कमतर संख्या वाले जानवरों का जीना हराम कर
झुंड की वाहवाही लूटते हैं
दरिंदगी का कानून बनाते हैं
और जगह जगह लगाते हैं
झुंड के नेता की आक्रामक मूर्तियां
जिससे डर डर कर रहें
झुंडशाही की रवायत की मुखालिफ
(आजकल कलम ने आवारगी लगभग बंद कर दी है)

(ईमि: 21.01.2024)

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