Thursday, January 25, 2024

शिक्षा और ज्ञान 340 (नास्तिकता)

 एक धर्मभीरु, कर्मकांडी ब्राह्मण बालक की धार्मिकता से नास्तिकता तक की यात्रा की दो साल पहले की एक पोस्ट पर एक मित्र ने पूछा कि नास्तिकता के क्या लक्षण होते हैं? और यह कि एक शादीशुदा ढोंगी बच्चों के साथ नास्तिक रह सकता है क्या? उसका जवाब:



नास्तिक भी दो हाथों और दो पैरों वाला इंसान ही होता है, जो भगवान और भूत के पाखंड के भय तथा धार्मिकता के ढोंग से मुक्त होता है। शादीशुदा होना ढोंगी होना होता है क्या? बच्चों पर न तो आस्तिक मां-बाप को अपना धार्मिक ढकोसला थोपना चाहिए न नास्तिक मां-बाप को अपनी वैज्ञानिक सोच. सभी मां-बाप को चाहिए कि वे बच्चों के साथ जनतांत्रिक पारदर्शिता के साथ समानता का व्यवहार करें (समानता एक गुणात्मक अवधारणा है, मात्रात्मक इकाई नहीं); उनकी अतिरेक चिंता, और उनसे अतिरेक अपेक्षा से उन्हें तंग न करें; बच्चों के सोचने के अधिकार का सम्मान करना सीखें; उनके बौद्धिक विकास के लिए समुचित परिवेश प्रदान करें; उन्हें प्रवचन से नहीं, मिशाल से सिखाएं। बच्चों में चीजों को देखने; परखने और सीखने की उत्सुकता अपार होती है। Children are keen observers and learners. तमाम मां-बाप (और शिक्षक भी) नासमझी में बच्चों के सोचने के अधिकार का दमन करते हैं और अपनी न पूरी हुई इच्छाएं बच्चों पर थोपते हैं। जीवन का मकसद ढूढ़ने की उनकी स्वतंत्रता का सम्मान करना चाहिए।

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