Friday, January 26, 2024

शिक्षा और ज्ञान 341 (समता का सुख)

 मेरे पुराने स्टूडेंट मिलने पर अक्सर मित्रवत व्यवहार के लिए आभार व्यक्त करते हैं, "Sir, we are grateful to you, you treated us so friendly". मैं कहता हूं कि पहली बात तो आपने मेरी कोई फसल नहीं काटी है कि शत्रुवत व्यवहार करूं। दूसरी बात यह कि मैं ऐसा अपने स्व-हित में करता हूं। आनंद या सुख के वीसतविक अर्थ में, किसी भी रिश्ते में तभी सचमुच का आनंद मिलता है यदि वह जनतांत्रिक, पारदर्शी और समतामूलक हो। समता एक गुणात्मक अवधारणा है, मात्रात्मक इकाई नहीं। श्रेणीबद्ध संबंधों में, वर्चस्व की स्थिति में आनंद (खुशी) नहीं, खुशी की खुशफहमी मिलती है। समता के अनमोल सुख की महत्ता से अनभिज्ञ तमाम अभिभावक और शिक्षक टेंसन सिंह बने फिरते हैं, खुद भी टेंसन में रहते हैं और बच्चों को भी टेंसन देते हैं।


In real sense of pleasure or happiness , one can enjoy any relationship, only if it is democratic; transparent and at par. Parity is not a quantitative entity but a qualitative concept. In hierarchal relations, those in position of power get only illusion of pleasure. Many parents and teachers, unaware of the unparalleled pleasure of parity live in tension in the posture of Tension Singh and give tension to children/students also.

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