बहुत दिनों से कुछ लिंक शेयर करने के अलावा मैं चुंगी में कोई लेख नहीं पोस्ट कर पा रहा हूं, लेकिन मेरे कुछ शुभेच्छु मेरे संदर्भ से कुछ कुछ शेयर करते रहते हैं। अभी P Markandey जी ने मेरे संदर्भ से एंटार पोलिकल साइंस वाले द्वारा अपने सखा को एलआईसी समेत कई सरकारी संस्थानों दिलाए एंटायर 20 हजार करोड़ दिलाने के बारे में हिसाब न पूछने के लिए वाम संगठनों को कुछ फंड देने की सलाह दी। उस पर:
शाखा में सालों-साल ड्रिल करने से भक्तों का दिमाग इतना कुंद हो जाता है कि रटे भजन के अलावा दिमाग काम ही नहीं करता और वही रिकॉर्ड बजाता रहता है। वाम तो लगभग अपने ही अकर्मों से वेबजूद हो गया है तब भी भक्त-अंधभक्तों को अनवरत दौरा पड़ता रहता है यदि बावजूद होता तो बेचारों की क्या हाल होती? मैंने तो कुछ नहीं कहा लेकिन संघ की बी टीम का मुखिया केजरी तो चिल्ला-चिल्लाकर कह रहा है कि मोदी अडानी को सरकारी प्रतिष्ठानों से 20 हजार करोड़ इसलिए दिलाया और हिडेनबर्ग रिपोर्ट के उसके घपलों का बचाव इसलिए कर रहे हैं कि अडानी तो फ्रंट है वह पैसा मोदी का है, जो दुनिया का दूसरा सबसे धनी नहीं, सबसे धनी व्यक्ति बनना चाह रहे हैं। लेकिन मोदी अपने मौसेरे केजरीवाल पर कार्रवाई नहीं करेंगे कि दोनों की नूरा-कुश्ती में देश के अन्य असली मुद्दे दब जाएं। लोगों का अडानी-मोदी के संबंधों से ध्यान हट जाए।
खैर मेरे किसी योगदान के बिना मेरा नाम सरकुलेसन में बनाए रखने के लिए भक्तों का आभार और वाम के दौरे के भयानक रोग से उनके उबरने की शुभकामनाएं।
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