क्या भारत में कानून का राज खत्म हो गया? कभी पुलिस कानून हाथ में लेकर एन्काउंटर के नाम हत्या करती है तो कभी एक पूर्व सांसद के हाथ बांध कर अपने बेवर्दी कारिंदों से मरवा देती है। इन हत्याओं का जश्न मनाकर सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के मोहरे बने लोग यह जान लें कि हिटलर के हत्यारों ने केवल यहूदी ही नहीं मारे थे। यह जरूर है कि उसके अंधभक्तों ने यहूदियों की हत्या को नस्लवादी ध्रुवीकरण के लिए खूब प्रचारित किया था। जो हिटलर की चाल चलेगा वह हिटलर की मौत मरेगा।
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