Wednesday, June 15, 2016

जनहस्तक्षेप प्रेस विज्ञप्ति -- दलित सामूहिकता

जनहस्तक्षेप
फासीवादी मंसूबों के खिलाफ अभियान
संपर्कः 9811146846, 9810275314
प्रेस विज्ञप्ति
नई दिल्ली/14 जून, 2016
जनहस्तक्षेप ने पंजाब के सैंकड़ों गांवों में कृषि भूमि के लिए दलित किसानों के आंदोलन के खिलाफ पुलिस और जमींदारों के बर्बर दमन की कड़ी निंदा करते हुए सरकार से आंदोलनकारियों पर लगाए गए फर्जी आरोप वापस लेने, मनमानी गिरफ्तारियां बंद करने और जेलों में कैद पुरुषों और महिलाओं की बिना शर्त तुरंत रिहाई की मांग की है।
पंजाब के दौरे से लौटे संगठन के चार सदस्यीय दल ने आज यहां प्रेस कांफ्रेंस में इस मसले पर अपनी रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि दलितों को पंचायत की जमीन बहुत मामूली कीमत पर आवंटित की जानी चाहिए ताकि उनका विकास सुनिश्चित किया जा सके। उसने आंदोलनकारी दलित किसानों के खिलाफ फर्जी मामले वापस लेने, मनमानी गिरफ्तारियों को रोकने और जेलों में कैद पुरुषों और महिलाओं की तुरंत रिहाई की मांग की।
दल ने कहा कि संगरूर जिले के खेरी गांव में दलित परिवारों को आवंटित जमीन का कब्जा उन्हें बिना देरी के दिया जाना चाहिए। उसने कहा कि प्रशासन और पुलिस को रसूखदार तबकों की चापलूसी में लगे रहने के बजाय कानून को न्याय की भावना के साथ लागू करना चाहिए।
पंजाब के संगरूर, बरनाला, पटियाला और मानसा जिलों के सौ से ज्यादा गांवों के दलित किसान पंचायत की 33 प्रतिशत जमीन पर अपने प्रभावी कब्जे के लिए संघर्ष कर रहे हैं। वे हर साल जमींदारों के साथ साठगांठ से बोली लगाने वाले दलितों को नीलामी की प्रक्रिया से दूर रखने की मांग कर रहे हैं ताकि जमीन पर वास्तव में दलित किसानों का अधिकार हो सके। आंदोलनकारियों के मुताबिक नीलामी की कीमत काफी कम हो तभी दलित परिवार जमीन के लिए सफलतापूर्वक बोली लगा सकेंगे।
जनहस्तक्षेप के दल के सदस्यों- प्रो0 ईश मिश्र (दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कालेज में शिक्षक), राजेश कुमार और अनिल दुबे (वरिष्ठ पत्रकार) तथा डा0 विकास वाजपेयी (सहायक प्रोफेसर, जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी) ने संगरूर जिले के तीन गांवों बल्द कलां, भदोह और खेरी का दौरा कर किसान पुरुषों, महिलाओं और युवाओं से विस्तृत बातचीत की। उन्होंने पंजाब स्टूडेंट्स यूनियन (पीएसयू), नौजवान भारत सभा (एनबीएस) और एसोसिएशन फार प्रोटेक्शन आफ डेमोक्रेटिक राइट्स (एपीडीआर) के कार्यकर्ताओं, ग्राम पंचायत प्रतिनिधियों तथा जिला कलक्टर अर्शदीप सिंह ठिंड से भी उनके विचार लिए।
पंजाब में पंचायतों की 158000 एकड़ जमीन में से 52667 एकड़ दलितों के हिस्से की है। जमीन प्राप्ति संघर्ष कमेटी (जेडपीएससी) के नेतृत्व में दलित किसानों ने सरकार को दलितों को जमीन आधी कीमत पर नीलाम करने के लिए मजबूर कर दिया है। मगर यह रकम भी 23000 से 25000 रुपए प्रति एकड़ बैठती है जिसे चुका पाने में दलित परिवार असमर्थ हैं।
संगरूर जिला प्रशासन ने झनेरी गांव में 30 एकड़ जमीन एक गौशाला को तीस साल के लिए सिर्फ 7000 रुपए प्रति एकड़ की दर से पट्टे पर दे दी है। जेडपीएससी मांग कर रही है कि दलित किसानों को भी जमीन इसी दर पर दी जानी जाए। दलित किसानों के आंदोलन से चिंतित पंजाब में सत्तारूढ़ अकाली दल के वरदहस्त वाला जमींदारों का प्रभावशाली तबका प्रशासन के साथ मिल कर संघर्ष को कुचलने में जुट गया है।
24 मई को पुलिस ने बल्द कलां गांव के बाहर पटियाला-संगरूर मार्ग पर धरना दे रहे दलित किसानों को निशाना बना कर अंधाधुंध लाठियां भांजी तथा ग्रामीणों के अनुसार हवा में गोलियां भी चलाईं। लाठीचार्ज में 14 लोगों को गंभीर चोटें आईं जिनमें महिलाएं भी शामिल हैं। पुलिस ने आंदोलन में शामिल 79 लोगों के खिलाफ 25 मई को हत्या की कोशिश का फर्जी मामला दर्ज किया। इसके बाद से अनेक गांवों में फर्जी मामले दर्ज कर मनमानी गिरफ्तारियों का सिलसिला लगातार जारी है।
जनहस्तक्षेप ने बल्द कलां में दलितों पर जुल्म के दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही और पुलिस के बर्बर लाठीचार्ज में घायल दलित किसानों को मुआवजा दिए जाने की भी मांग की है।

ह0/प्रो0 ईश मिश्र, संयोजक

ह0/डा0 विकास वाजपेयी, सह-संयोज

No comments:

Post a Comment