कहने-करने की आज़ादी ले रही हैं मेरी बेटियां
मांग कर नहीं छीनकर
हक़ मानने से नहीं लड़ने से हासिल होता है
हक़ के लिए लड़ रही हैं ये बेटियां
कंगन-पाजेबों की बेड़ियां तोड़ रही हैं ये बेटियां
आंचल को परचम बना रही हैं बेटियां
उठा रही हैं प्रज्ञा का शस्त्र ये बेटियां
कर रही हैं मर्दवाद को ध्वस्त ये बेटियां.......
बाद में पूरा करूंगा
मर्दवाद को सांस्कृतिक संत्रास दे रही हैं मेरी बेटियां
हक़ मानने से नहीं लड़ने से हासिल होता है
ReplyDeleteहक़ के लिए लड़ रही हैं ये बेटियां
कंगन-पाजेबों की बेड़ियां तोड़ रही हैं ये बेटियां
पढ़ने, कमेंट करने का शुक्रिया.
Deleteआंचल को परचम बना रही हैं बेटियां