सुनो विश्वविद्यालयों के नगपुरिया कुलपतियों
जहालत के ब्राह्मणवादी ठेकेदारों
डराना क्यों चाहते हो
दिखा कर लट्ठ तथा पुलिस का खौफ
कहते हो संविधान नहीं चलता बीयचयू में
जब कहते हम विरोध के अधिकार की बात
हमारी मर्यादित मांगों को कहते हो उत्पात
तोप तान देते हो क्यों
जब भी लड़ता है छात्र पढ़ने के लिए
क्यों चाहते हो हमें डर कर जीना सिखाना
क्यों चाहते छीनना पढ़ने पढ़ने का हक
क्यों चाहते हो तोड़ना मेरा कलम
तो सुना नगपुरिया बाबा के चेले
क्या नाम है तुम्हारा
त्रिवेदी, द्विवेदी जो भी हो
मत खेलो इन युवा उमंगों के सैलाब से
हैदराबाद से उठी चिंगारी
दावानल बन गयी है जेयनयू पहुंच कर
आजादी चौक बन गया है उसकी सत्ता का गढ़
आश्रय खोज रहा है बचने का
आजादी के नारों की आंधी से
उसका भी क्या नाम है
तुम्हारे शाखा सखा जेयनयू के वीसी का
अगदेश जगदेश जो भी हो
कितना भी दिलाशा दो अपने दिल को
ये जो सड़कों पर रात में पढ़ रहे हैं लड़के-लड़कियां
मांगते हुए पढ़ने का अधिकार
लड़ सकें जिससे ज़ुल्म के खिलाफ
लाठी-गोली निष्कासन की तलवारों के दमकल से
नहीं बचा सकोगे बीयचयू जेयनयू से शुरू दावानल से
क्योंकि जेयनयू एक विचार है
विचार गतिमान है
मरता नहीं इतिहास रचता आगे बढ़ता है
नहीं बचा पाओगे तुम बीयचयू जेयनयू बनने से
डराना बंद कर अब डरना शुरू करो
क्या नाम है तुम्हारा जो भी हो
अप्पा राव, जगदेश चंदर या त्रिपाठी
क्योंकि छात्रों ने डरना बंद कर दिया है
सलाम करता हूं बीयचयू के युवा साथियों को
जयभीम-लाल सलाम
(ईमिः 10.05.2016)
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