Monday, May 2, 2016

मई दिवस



 कल पूरी दुनिया में मई दिवस मनाया गया. लेकिन इसका इतिहास कम लोगों को मालुम है. एक अध्ययन के अनुसार, पूंजीवाद के विकास सका सरगना माने जाने वाले अमेरिका में ज्यादातर लोग इसे एक छुट्टी के दिन के रूप में जानते हैं, जब कि मार्क्स का सोचना था कि वर्गचेतना सर्वाधिक विकसित देशों के कामगरों में सर्वाधिक होगी. लेकिन मार्क्स कोई ज्योतिषी तो थे नहीं. मार्क्स का आंकलन उदारवादी पूंजीवाद के गतिविज्ञान के सकेंद्रण तथा केंद्रीकरण के नियमो पर आधारित था. साम्राज्यवादी (नवउपनिवेशवादी) नवउदारवादी भूमंडलीय पूंजीवाद

19वी शताब्दी के मध्य तक पूंजीवाद जड़ें  जमा चुका था. मजदूरों के शोषण से तथा औपनिवेशिक लूट की वबदौलत पूंजीपति अकूत संचय कर रहा था. मजदूर मानवीय हालात में 10 से 16  घंटे काम करते थे. मजदूर बिना मजदूरी घटाए काम में हालात में सुधार तथा 8 घंटे काम के अधिकार की अरसे से मांग कर रहे थे. सुरक्षा उपाय तथा काम के हालात इतनी अमानवीय थी कि काम करते हुए मजदूरों की मौत या उनका हताहत होना रोजमर्रा की आम बात थी. उपटॉन सिंक्लेयर की कालजयी कृति द जंगल तथा जैक लंदन की द आइरन हील में उन हालात को पढकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं तथा सभ्यता का बोझ ढोने वालों पर खून खौलने लगता है.    

अमेरिका तथा यूरोप के विभिन्न शहरों में 

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