Vibhas Awasthi मेरा मकसद किसी शासनकाल में अपराध का नहीं है यह महज उन लोगों पर कटाक्ष है जो देशभक्ति को सेना से जोड़ते हैं. सोवियत सैनिकों द्वारा बलात्कार के आंकड़े मेरे पास नहीं है, लेकिन विजयी सैनिकों द्वारा विजित महिलाओं का बलात्कार इतिहास की आम बात है. सेना देशभक्ति नहीं करती अपने जंगखोर आकाओं के आदेश का पालन भर करती है. सेना को दुश्मन से निपटने की का प्रशिक्षण दिया जाता है, दुश्मन का निर्णय सेना नहीं उसके राजनैतिक आका करते हैं जिसे वह बंददिमाग मान लेता है. वर्दी के साथ अपने काम के बारे में सोचने का अधिकार वह समर्पित कर देता है. 15 अगस्त 1947 तक हिंदुस्तानी सैनिकों की देशभक्ति अंग्रेज आकाओं के आदेश पर हिंदुस्तानी विद्रोही जनता को मारने में थी तथा सत्ता पलटते ही, भगत सिंह के शब्दों में वह भूरे अंग्रेजों के आदेश पर वह हिंदुस्तानियों को मारने लगी. शासन बदलते ही उसकी देशभक्ति अंग्रेज-भक्ति से देशी हुक्मरानों की भक्ति में तब्दील हो गयी. स्वाधीन भारत की सेना का पहला पराक्रम तेलंगाना के किसान विद्रोह का दमन था. सेना ने 1948 में हजारों किसान क्रांतिकारियों का कत्ले आम किया. सेना को सीमा पर होना चाहिए नागरिक इलाकों में नहीं क्योंकि उनका प्रशिक्षण दुश्मन से निपटने का होता है. दुश्मन का उनकेलिए कोई मानवाधिकार नहीं होता. कश्मीर में किशोर युवती के साथ छेड़-छाड़ के आरोप लगाने वाली लड़की को उसके पिता के साथ तबसे पुलिस पुलिस हिरासत में हैं. विरोध प्रदर्शनों पर हमले में 5 नवजवान मारे जा चुके हैं. कश्मीर हमारा अभिन्न हिस्सा है कश्मीरी नहीं! अगर छेड़खानी के आरोपी सैनिक हिरासत में लेकर जांच की जाती और उसे सार्वजनिक की जाती तो शायद विरोध प्रदर्शन पर गोली चलाकर 5 मासूमों की हत्या नहीं करनी पड़ती. कश्मीरी भी इंसान होता है. कहने का मतलब यह कि हर कोई सेना में नौकरी के लिए भर्ती होता है, देशभक्ति के लिए नहीं. सेना की यसयसबी वही देता है जो सिविल सर्विसेज में नहीं जगह पाता. अपवाद नियम की पुष्टि ही करते हैं.
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