Tuesday, February 9, 2016

वो औरत.

सर  पर दुपट्टे  से प्यार करती है जो औरत
समर्पण को प्यार  समझती  है जो औरत
पल्लू को परचम बना सकती नहीं जो औरत
नारी दावेदारी व प्रज्ञा का मतलब न समझती जो औरत
बराबरी का हक़  न मागती जो औरत
मर्दवाद की गुलामी को अभिशप्त है वो औरत.

(इमि:८.०२.२०१६)

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