सर
पर दुपट्टे से प्यार करती है जो
औरत
समर्पण को प्यार समझती
है जो औरत
पल्लू को परचम बना सकती नहीं जो औरत
नारी दावेदारी व प्रज्ञा का मतलब न
समझती जो औरत
बराबरी का हक़ न मागती जो औरत
मर्दवाद की गुलामी को अभिशप्त है वो
औरत.
(इमि:८.०२.२०१६)
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