Saturday, February 20, 2016

वर्णाश्रम की कब्र

वर्णाश्रम की कब्र खुदेगी जेयनयू की पहाड़ी में
बौखला गया है जो लाल-ऩीले झंडों की एका से
बम गोलों से नहीं दबेंगी उमड़ती युवा उमंगें
जय भीम लाल सलाम के नारों से आसमां रंग देंगे
तक़लीफों की चिंगारी बनेगी दावानल
ख़ाक हो जायोंगे फिरकापरस्ती के महल
अरावली की पहाड़ियों से निकला है जो जनसैलाब
दुनिया भर में फैल रहा है उसका इंकिलाबी आब
मार कर रोहित को प्रफुल्ल हुआ ब्राह्णणवाद
जाना नहीं मगर वह कि कर रहा है आत्मघात
साथ लगने लगे नारे जय-भीम और इंकिलाब जिंदाबाद
देख यह जुझारू एकता हो गया उसे मानसिक सन्निपात
करने लगा पागलपन में ऊल-जलूल उत्पात
मिल गये आपस में जेयनयू और हैदराबाद
कर दिया जेयनयू पर सोचा-समझा हमला
छोड़ दिया देश द्रोह का अंग्रेजी राज का जुमला
अपना रहा है ये सारे हिटलरी हथकंडे साज़िश के तहत
जानता नहीं मगर कि दुहराता इतिहास खुद को त्रासदी की तरह
लेकिन चलता है चाल जो हिटलर की मरता है वह उसकी ही तरह
हैदराबाद से शुरू हुआ है जो जय भीम लाल सलाम का काफिला
जेयनयू में ध्वस्त कर देगा कॉरपोरेटी ब्राह्मण का नफरत का किला
(ईमिः20.02.2016)

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