लड़खड़ाने में खतरा है गिर जाने का
कसम तोड़ना है पर्याय मात खाने का
जब भी तोड़ा जाता हैै दानिशमंद का कलम
फैलता है क़ौम में जहालत का गुमान-ओ-वहम
टूटने से कलम खामोश नहीं होता है
बुलंदी से इतिहास को आवाज़ देता है
सुकरात-भगत-चे-कन्हैया बन जाता है
शहादत से इंकिलाब का परचम फहराता है
(ईमिः29.02.2016)
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