Thursday, August 30, 2018

मार्क्सवाद 148 (जनवादी बुद्धिजीवी)

बुनियादी वर्ग की लड़ाई के लिए जरूरी चेतना निर्माण में यानि सामाजिक चेतना के जनवादीकरण में जनपक्षीय मध्यवर्गीय बुद्धिजीवियों की निर्णायक नहीं, मगर उनकी भूमिका को नजरअंदाज नहीं की जा सकती। मार्क्स और एंगेल्स ने एक से अधिक जगहों पर जोर देते हुए लिखा है कि सर्वहारा (आमजन) अपनी मुक्ति की लड़ाई खुद लड़ेगा लेकिन वर्ग चेतना से लैस होने के बाद ही वह इसके लिए सक्षम होगा। इसीलिए मैं पार्टी लाइन और पार्टी में हायरार्की को अमार्क्सवादी मानता हूं। जो भी समता के दुर्लभ सुख का महत्व नहीं समझता, उसकी क्रांतिकारिता अधूरी होती है।

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