तीन दर्जन अनाथ बच्चियों को बंधक बना कर
भरती कर दिया जाता है
सरकारी वित्तपोषित बलात्कार गृह में
और परोसी जाती हैं बोटी-बोटी
सम्मानित नरभक्षी पशुओं को
जो जंगल में नहीं
शहर के संभ्रांत बस्तियों में रहते है
कोई सम्मानित जिला जज होता है
कोई समाजसेवक कोई नेताजी
लेकिन नहीं उबल पड़ता देश
नहीं होती किसी के सीने में जलन
उठता नहीं किसी की आंखों में तूफान
लगता है हमारी बुतपरस्त-मुर्दा परस्त अंतरात्मा
संवेदनाओं का कब्रिस्तान बन गई है।
(ईमि: 04.08.2018)
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