समीर अमीन ने 2 साल पहले लिखा था, “विशिष्ट संघर्षों से आंशिक जागरूकता पैदा होती है ...। इन विशिष्ट किस्म की जागरूकताओं के विकास तथा समागम से पूंजीवाद के विनाश के नए नियमों के प्रतिपादन की संभावनें पैदा होंगी। लेकिन यह उन्नत जागरूकता पूंजीवादी संचय की जरूरतों के बदले हुए संस्करणों में ढलने से नहीं, न जरूरतों के खात्मे से आएगी। आंदोलन के ज्यादा जागरूक तपके दूसरों के प्रति तिरस्कार दिखाने की बजाय उन्हें दूसरों की समझ बढ़ाने के लिए सभी आंदोलनों में शिरकत करना चाहिए”
समीर अमीन, ‘रीडिंग कैपिटल, रीडिंग हिस्टोरिकल कैपिटलिज्म’ (मंथली रिविव, जुलाई-अगस्त, 2016)
दूसरी बात जो उन्होंने बहुध्रुवीयता के पक्ष में लिखा था कि धरती को अमेरिकी सैनिक छावनी बनने से रोकने के लिए, तमाम देशों को एक सैनिक गठजोड़ बनाना चाहिए।
आज के संदर्भ में दोनों बाते प्रासंगिक लगती हैं। फासीवाद से लड़ने के लिए बृहत्तर मोर्चे की जरूरत है।
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