Saturday, August 15, 2015

आज़ादी

मिली थी जो आज़ादी बांटकर इतिहास
भूमंडलीकरण में खो गया उसका भी आभास
थोड़ा अलग हैै पुराने से नया साम्राज्यवाद
लॉर्ड क्लाइव है इसका कॉरपोरेटी राष्ट्रवाद
वैसे भी जरूरत नहीं अब किसी क्लाइव की
मीर जाफर बन गये राष्ट्रवाद के सिपाही
करेगा इंसाफ की बात ग़र भूतपूर्व सैनिक
लाठी-गोली से तोड़ी जाती उनकी सनक
मांगेगा भड़ाना का दलित अगर पुनर्वास
करेगा नहीं राष्ट्रवाद बर्दाश्त ये बकवास
सिखाया था अंग्रेजों ने बांटो राज करो का मंत्र
चारचांद लगा रहा उस पर राष्ट्रवाद का तंत्र
करेगा कश्मीरी या नागा ग़र आज़ादी की बात
होगा घायल मुल्क का राष्ट्रवादी जज्बात
देता है राष्ट्र तब सेना को विशेष अधिकार
मारने को आज़ादीवादी नहीं वारंट की दरकार
कर सकते हैं सैनिक किसी का बलात्कार
होता नहीं विद्रोही का कोई मानवाधिकार
है कोई आतंकवादी यदि असीमानंद
दिलायेगी सरकार उसको जमानत
करेगी तीस्ता ग़र हत्या-बलात्कार की मुख़ालफ़त
झेलनी ही पड़ेगी उसको सीबीआई की आफ़त
फाड़ता है बजरंगी जब गर्भवती का अंताशय
सलाम करते हैं उसे राष्ट्रवाद के पर्याय महाशय
करती है कत्ल औरत-बच्चे माया कोदनानी
बन जाती है महिला-बाल कल्याण की रानी
महिमा है राष्ट्रवाद की असीम और अपरंपार
महानता की है जिसके नहीं कोई आर-पार
हे जनमनगण अधिनायक भारत भाग्यविधाता
हो गये 68 साल मगर तेरा जादू पकड़ न आता
(ईमिः 15.08.2015)

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