तानाशाही प्रवृत्ति वाले लोग कायर तथा डरपोक होते हैं. वे दो बातों से सबसे ज्यदा डरते हैं -- इतिहास से तथा विचार से. वे इतिहास विकृत करने का प्रयास करते हैं तथा विचारक की हत्या के माध्यम से विचारों की हत्या. गोविंद पनसरे, नरेंद्र दाभोलकर तथा अब कन्नड़ लेखक कलमुर्गी. ये कायर हत्यारे ये नहीं जानते कि विचार मरते नहीं, बीज बनते हैं. सुकरात को मर डाला था, एथेंस के धर्मोंमादियों ने लेकिन वे ढाई हजार साल बाद भी जिंदा हैं अपने विचारों में.इंद्राणी प्रकरण में मस्त मीडिया के लिये एक लेखक या मजदूर की मौत खबर नहीं बनती. अपराध को पनाह देनी वाली यह कॉरपोरेटी व्यवस्था इन हत्यारो को क्या सजा देगी, सजा जनता देगी इस व्यवस्था का अंत कर.
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