Monday, August 15, 2011

देश क्या आज़ाद है? -- अदम गोंडवी --

देश क्या आज़ाद है?
-- अदम गोंडवी --

सौ में सत्तर आदमी फिलहाल जब नाशाद है
दिल पर रख कर हाथ कहिये देश क्या आज़ाद है?

कोठियों से मुल्क के मायार को मत आंकिये
असली हिनुस्तान तो फुटपाथ पर आबाद ही.

जिस शहर में मुन्तजिम अंधे हों जल्वागाह के
उस शहर में रोशनी की बात बेबुनियाद है.

ये नयी पीढी पर निर्भर है वही जजमेंट दे
फलसफा गांधी का मौजूं है की नाक्सालवाद है.

यह ग़ज़ल महरूम मंटो को नज़र है दोस्तों
जिसके अफ़साने में ठंढे गोस्त की रूदाद है.

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