सरकार के बिहारी सहयोगियों के असहयोग से देश संघ के बहुत से प्रतिबद्ध स्वयंसेवकों की सेवा से वंचित रह गया। सरकारी आदेश से संघ लोक सेवा आयोग ने नौकरशाही के उच्च पदों पर सीधी भर्ती (लेटरल एंट्री) का विज्ञापन वापस ले लिया। बाल स्वयंसेवक चरण से ही नौकरशाही (सिविल सर्विसेज) में घुसकर राष्ट्रसेवा करने की तमन्ना रखने वाले तरुण स्वयंसेवक अच्छी-से-अच्छी कोचिंग के बावजूद मंडलीय साजिश के चलते संंघ लोक सेवा की परीक्षा में थोडा पीछे रह जाने के चलते अपनी सेवाओं से निजी क्षेत्र को चमकाते रहे। जब देश में राष्ट्रवादी सरकार आयी तो उसने राष्ट्रसेवा में बाल से प्रौढ़ हो चुके स्वयंसेवकों के वांछनीय योगदान की अहमियत समझ, सीधी भर्ती का प्रावधान अपनाया।इससे जो स्वयंसेवक सीधी परीक्षा से राष्ट्रसेवा से वंचित रह गए थे, उन्हें सीधी भर्ती से राष्ट्रसेवा का अवसर प्रदान किया। दूसरे शब्दों में राष्ठ्र को उनकी सेवा से उपकृत होने का अवसर प्रदान किया। बुरा हो सरकार के इन कृतघ्न सहयोगियों का जिन्होंने राष्ट्र को कई प्रतिबद्ध, प्रतिभाशाली स्वयंसेवकों की सेवा से वंचित कर दिया। कहा जाता है कि पहले नेपाल में राजा के प्रति वफादारी प्रदर्शन के कंपटीसन का एक उत्सव होता था, सफल प्रतियोगियों को राजा मनमांगी पदवी/उपाधि देता था।
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